आओ करीब इतने,के तेरी जुल्फ बिखर जाये मेरी शानो पर
आओ करीब इतने,के जोर धडकनों का हो दिल के खानों पर
के मेरी साँसों में घुल जाने दो आज अपनी साँसों का शमीम
आओ करीब इतने,के बर्क लहरा जाये इश्क के आसमानों पर
शानो पर -कंधे पर
Sunday, December 7, 2008
Thursday, December 4, 2008
तकदीर-ऐ-इश्क
जो न कही अब तक,वो बात उन्हें आज बताऊंगा मैं
कदमो में उनके रख के दिल,किस्मत आजमाऊंगा मैं
गर होंगे कुबूल उनको मेरी बेताब धडकनों के नजराने
तकदीर-ऐ-रोशन पे मेरी फ़िर जी भर के इतराउंगा मैं
कदमो में उनके रख के दिल,किस्मत आजमाऊंगा मैं
गर होंगे कुबूल उनको मेरी बेताब धडकनों के नजराने
तकदीर-ऐ-रोशन पे मेरी फ़िर जी भर के इतराउंगा मैं
Friday, November 14, 2008
चाँद-एक आइना
वो भी देखते है तुम्हे और देखते है हम भी
ऐ चाँद ख़ुद बन जाना तुम आइना कभी
देख तो ले वो के पल पल तडपता है कोई
है आरजू के मेरे हाल से न रहे वो अजनबी
ऐ चाँद ख़ुद बन जाना तुम आइना कभी
देख तो ले वो के पल पल तडपता है कोई
है आरजू के मेरे हाल से न रहे वो अजनबी
Wednesday, November 12, 2008
कोई नही अपना
बे-घर होते चले गए,दिल के आशियाने को सम्हालते सम्हालते
हर आब-ओ-हवा रूठ गई हमसे,इस मौसम के बदलते बदलते
नही और कोई नजारा,अपनी उजड़ी हसरतो के मंजर के सिवा
साये भी अपने हो चुके है पराये,दो कदम मेरे साथ चलते चलते
हर आब-ओ-हवा रूठ गई हमसे,इस मौसम के बदलते बदलते
नही और कोई नजारा,अपनी उजड़ी हसरतो के मंजर के सिवा
साये भी अपने हो चुके है पराये,दो कदम मेरे साथ चलते चलते
दिलबर की आस
क्या है जरुरत तस्वीर की,जो छुपालो किसीको निगाहों में
आँखे मूंद के देखो ख्वाब, और जो भरलो किसीको बाहों मे
बनाके मंजिल किसीको,चलोगे जब राह-ऐ-मोहब्बत पर
मिल ही जाएगा वो दिलबर,चलते चलते हसीन सी राहों मे
आँखे मूंद के देखो ख्वाब, और जो भरलो किसीको बाहों मे
बनाके मंजिल किसीको,चलोगे जब राह-ऐ-मोहब्बत पर
मिल ही जाएगा वो दिलबर,चलते चलते हसीन सी राहों मे
कामयाबी की दास्ताँ
फूलो भरी हो डगर तेरी,या काटो भरा रास्ता
कितने तुफानो से पड़े यहाँ,चाहे तेरा वास्ता
है जो तेरी निगाहों में अक्स किसी मंजिल का
हर बढ़ता कदम लिखेगा ख़ुद अपनी दास्ताँ
कितने तुफानो से पड़े यहाँ,चाहे तेरा वास्ता
है जो तेरी निगाहों में अक्स किसी मंजिल का
हर बढ़ता कदम लिखेगा ख़ुद अपनी दास्ताँ
Tuesday, November 11, 2008
टूटे महल
बांधे थे हवाओ में महल,गिराए भी हमीने
आसमाँ की चाहत में छुटी,हमारी जमीने
आप ही दे ख़ुद को धोखा,फ़िर और क्या?
डूब ही जाने है ऐसे में जिन्दगी के सफीने
आसमाँ की चाहत में छुटी,हमारी जमीने
आप ही दे ख़ुद को धोखा,फ़िर और क्या?
डूब ही जाने है ऐसे में जिन्दगी के सफीने
---आजकल
एक तेरा ही नाम लेके हम जीते है आजकल
बस तेरे खयालो के जाम हम पीते है आजकल
तस्सव्वुर में तेरे बिताये हुवे लम्हों की कसम
ख़ुद से भी जियादा तुम्हे करीब पाते है आजकल
बस तेरे खयालो के जाम हम पीते है आजकल
तस्सव्वुर में तेरे बिताये हुवे लम्हों की कसम
ख़ुद से भी जियादा तुम्हे करीब पाते है आजकल
Saturday, October 18, 2008
जाऊ तो कहा?
कोई तो कह दो उनसे के पल पल कोई तड़पता है
लाख करे कोशीशे मगर न अब दिल सम्हलता है
जाऊ तो जाऊ कहा अब मैं ये दिल-ऐ-बेताब लेके
हर रास्ता मेरी जिंदगी का उन तक आके ठहरता है
लाख करे कोशीशे मगर न अब दिल सम्हलता है
जाऊ तो जाऊ कहा अब मैं ये दिल-ऐ-बेताब लेके
हर रास्ता मेरी जिंदगी का उन तक आके ठहरता है
Saturday, September 20, 2008
जिंदगी-एक परछाई
ख्वाब में देखी जो बहारे,हकीकत में है वो मुरझाई सी
अपनी थी ये दुनिया,अब नजर आती है वो हरजाई सी
पास नही है गर कुछ तेरे,तो साथ न देंगे तेरे साये भी
ढूंढे कैसे वजूद जिंदगी का,जो ख़ुद लगती है परछाई सी
अपनी थी ये दुनिया,अब नजर आती है वो हरजाई सी
पास नही है गर कुछ तेरे,तो साथ न देंगे तेरे साये भी
ढूंढे कैसे वजूद जिंदगी का,जो ख़ुद लगती है परछाई सी
Thursday, September 11, 2008
मेरे साथ चलो
कुछ पल के लिए ही सही,मेरे साथ तुम चल के तो देखो
किसी की खातिर तुम कभी,अपनी राह बदल के तो देखो
हा!है मजा अपना तन्हाई में भी,मगर हर पल तो नही
मिटाके कभी अपनी हस्ती,किसी और में ढल के तो देखो
किसी की खातिर तुम कभी,अपनी राह बदल के तो देखो
हा!है मजा अपना तन्हाई में भी,मगर हर पल तो नही
मिटाके कभी अपनी हस्ती,किसी और में ढल के तो देखो
Wednesday, September 10, 2008
कोशिशे कहा...
दिल में अब वो आरजू कहा,किसीको पाने की ख्वाहिशे कहा
किसीकी अब वो जुस्तजू कहा,किसी के लिए वो आतिशे कहा
वीरा है इस दिल की दुनिया,न कोई आहट न कदमो के निशा
सीने में अब वो दिल कहा,दिल में धड़कने की वो कोशीशे कहा
किसीकी अब वो जुस्तजू कहा,किसी के लिए वो आतिशे कहा
वीरा है इस दिल की दुनिया,न कोई आहट न कदमो के निशा
सीने में अब वो दिल कहा,दिल में धड़कने की वो कोशीशे कहा
Sunday, September 7, 2008
अब न तरसाओ
किसके ख़याल में यु चुपके से मुस्कुरा देते हो
क्या जानो तुम इस तरह दिल धड़का देते हो
अब तो कह दो,न छुपाओ अब ये राज हमसे
अपनी खामोशी से हमे तुम और तरसा देते हो
क्या जानो तुम इस तरह दिल धड़का देते हो
अब तो कह दो,न छुपाओ अब ये राज हमसे
अपनी खामोशी से हमे तुम और तरसा देते हो
Wednesday, August 27, 2008
पत्थर दिल
दिल पे रख दिया कोई,या दिल को पत्थर बनाया हमने
न देख सके अब और कोई,ऐसा एक मंजर बनाया हमने
गम उठाये जो हमने इश्क में,हम ही तक रखेंगे उन को
अब न रोयेगा कभी ये दिल,इतना बे-असर बनाया हमने
न देख सके अब और कोई,ऐसा एक मंजर बनाया हमने
गम उठाये जो हमने इश्क में,हम ही तक रखेंगे उन को
अब न रोयेगा कभी ये दिल,इतना बे-असर बनाया हमने
वो हमारा हो गया
दर्द इश्क का जब से दिल को गवारा हो गया
मेरे तसव्वुर में हर तरफ़ तेरा नजारा हो गया
अक्सर लहराती बर्क़ सीने में,ये समझाती है
कोई जन्नत से जमी पे उतरा,हमारा हो गया
मेरे तसव्वुर में हर तरफ़ तेरा नजारा हो गया
अक्सर लहराती बर्क़ सीने में,ये समझाती है
कोई जन्नत से जमी पे उतरा,हमारा हो गया
Thursday, August 14, 2008
तुझे मेरी कसम
नही चैन इस दिल को,दिल-ऐ-बेकरार की कसम
अब और नही आरजू कोई,तेरे इंतजार की कसम
है यकीं इतना,रहूँगा मैं भी तेरे दिल के आशियाने में
न करना अब इन्कार,तुझे मेरे ऐतबार की कसम
अब और नही आरजू कोई,तेरे इंतजार की कसम
है यकीं इतना,रहूँगा मैं भी तेरे दिल के आशियाने में
न करना अब इन्कार,तुझे मेरे ऐतबार की कसम
Wednesday, August 13, 2008
डूबती जिंदगी
बीच भवर में हम है फसे और लहरें भी हुवी बेवफा
फासले ऐसे में साहिल से हर पल हो रहे है जियादा
कही इतनी दुरी न हो जाए,के देख सके न हमे कोई
तन्हाई में मिट के रहेगी वरना इस जिंदगी की दास्ताँ
फासले ऐसे में साहिल से हर पल हो रहे है जियादा
कही इतनी दुरी न हो जाए,के देख सके न हमे कोई
तन्हाई में मिट के रहेगी वरना इस जिंदगी की दास्ताँ
Sunday, August 10, 2008
तमाशा जिंदगी का
चैन से ये भी न गुज़रेगा,जो वक्त बचा है ज़रासा ज़िंदगी का
जी ते जी कितनी बार उठेगा अब और जनाजा ज़िंदगी का
एक लम्हा भी न हासिल हुवा कभी,नाज़ कर लेते जिस पे हम
ऐ खुदा रहने दे,बहोत हो चुका अब ये तमाशा ज़िंदगी का
जी ते जी कितनी बार उठेगा अब और जनाजा ज़िंदगी का
एक लम्हा भी न हासिल हुवा कभी,नाज़ कर लेते जिस पे हम
ऐ खुदा रहने दे,बहोत हो चुका अब ये तमाशा ज़िंदगी का
Saturday, July 26, 2008
...ढुन्ढ्ता रहा
कहने को तो फूल था मगर,ता-उम्र ताजगी ढुन्ढ्ता रहा
जलने को तो चिराग था मगर,हर पल रौशनी ढुन्ढ्ता रहा
दास्ता मेरे भी जीने की है लिपटी हुवी जुस्तजू की बाहों में
जीने को तो यु ही मैं जीता रहा,मगर जिंदगी ढुन्ढ्ता रहा
जलने को तो चिराग था मगर,हर पल रौशनी ढुन्ढ्ता रहा
दास्ता मेरे भी जीने की है लिपटी हुवी जुस्तजू की बाहों में
जीने को तो यु ही मैं जीता रहा,मगर जिंदगी ढुन्ढ्ता रहा
Thursday, July 3, 2008
तुम आओगे क्या
बड़े नाज़ से सजाई है हमने,महफिल में तुम आओगे क्या
मिलने की खातिर दिल से मेरे,अपना दिल लाओगे क्या
कबसे तरस रही मेरी हसरते,हकीकत में बदल जाने को
ख्वाब से सजी इस जिंदगी को,हकीकत बनाओगे क्या
मिलने की खातिर दिल से मेरे,अपना दिल लाओगे क्या
कबसे तरस रही मेरी हसरते,हकीकत में बदल जाने को
ख्वाब से सजी इस जिंदगी को,हकीकत बनाओगे क्या
Monday, June 30, 2008
एक पल का जादू
रास्ता मेरी ख्वाहिशो का तेरी कशिश में पलट के रह गया
तेरी जुल्फों में उलझा दिल और तुझसे लिपट के रह गया
क्या जादू था उस पल में,जिसने सिखाई धडकनों की जुबाँ
वक्त तमाम जिंदगी का,बस एक पल में सिमट के रह गया
तेरी जुल्फों में उलझा दिल और तुझसे लिपट के रह गया
क्या जादू था उस पल में,जिसने सिखाई धडकनों की जुबाँ
वक्त तमाम जिंदगी का,बस एक पल में सिमट के रह गया
Thursday, June 26, 2008
आसमाँ की तलाश
दस्तक दी है जिसने दिल पे,वो मेहमां ढूंढता हू मै
दिखलायें जो मंज़िल-ऐ-इश्क,वो कारवां ढूंढता हू मै
मेरी हर धड़कन को है जुस्तजू,उनके नज़र ए करम की
दुवा ए दिल हो कुबूल जहां,वो आसमां ढूंढता हू मै
दिखलायें जो मंज़िल-ऐ-इश्क,वो कारवां ढूंढता हू मै
मेरी हर धड़कन को है जुस्तजू,उनके नज़र ए करम की
दुवा ए दिल हो कुबूल जहां,वो आसमां ढूंढता हू मै
मोहब्बत का नशा
सिमट के रह गयी ये जिंदगी बस उनकी चाहत में
और कोई दास्ता नही मेरी किताब-ऐ-हसरत में
तस्वीर उनकी निगाहों में,और कोई नजारा नही
जरा हमसे पूछो तो जानो,क्या नशा है मोहब्बत में
और कोई दास्ता नही मेरी किताब-ऐ-हसरत में
तस्वीर उनकी निगाहों में,और कोई नजारा नही
जरा हमसे पूछो तो जानो,क्या नशा है मोहब्बत में
मेरा चेहरा उनकी सूरत
हर धड़कन किताब-ऐ-आरज़ू में,उनका ही नाम लिखने लगी है
हर पल हर लम्हा ये ज़िंदगी,सबक-ऐ-इश्क सिखने लगी है
किस कदर छायी है दीवानगी,कोई जाके जरा आईने से तो पूछे
के मेरे चेहरे में भी अब मुझको,उनकी ही सूरत दिखने लगी है
हर पल हर लम्हा ये ज़िंदगी,सबक-ऐ-इश्क सिखने लगी है
किस कदर छायी है दीवानगी,कोई जाके जरा आईने से तो पूछे
के मेरे चेहरे में भी अब मुझको,उनकी ही सूरत दिखने लगी है
धड़कन-ऐ-दिल
वो पास नही होती तो तड़पता है दिल
हो जाए उनसे रूबरू तो झिझकता है दिल
नही फर्क दिल को,उनके पास-ओ-दूर होने से
दोनो ही सूरत में कमबख्त बस धड़कता है दिल
हो जाए उनसे रूबरू तो झिझकता है दिल
नही फर्क दिल को,उनके पास-ओ-दूर होने से
दोनो ही सूरत में कमबख्त बस धड़कता है दिल
Sunday, June 22, 2008
मकाम-ऐ-हुस्न
मस्ती भरी अदाए उनकी,छलकते जाम से कम नही
शोखी उनके नजरो की,खुबसूरत पैगाम से कम नही
जो भी देखे उनको खो जाए बस राह-ऐ-बेखुदी में
मदहोशी की यह रहगुजर किसी मकाम से कम नही
शोखी उनके नजरो की,खुबसूरत पैगाम से कम नही
जो भी देखे उनको खो जाए बस राह-ऐ-बेखुदी में
मदहोशी की यह रहगुजर किसी मकाम से कम नही
Saturday, June 21, 2008
पहली नजर
नजर में पहली ही दिल को मजबूर कर गया कोई
होश से वाकिफ जिंदगी को तसव्वुर कर गया कोई
अब न मिलता वो लम्हा मुझे चैन-ओ-सुकून भरा
अन-छुए दिल को छू के मंजूर कर गया कोई .
Wednesday, June 18, 2008
बहकी सांसे
हर सांस आती है सीने में हवा बनके
हर सांस जाती है सीने से नशा बनके
टकराए दिल से जो,कैसे रहे भला बेअसर
छुप के बैठे वो दिल में जो वफ़ा बनके
हर सांस जाती है सीने से नशा बनके
टकराए दिल से जो,कैसे रहे भला बेअसर
छुप के बैठे वो दिल में जो वफ़ा बनके
बस उनकी चाहत
सारी दुनिया भी हो जाए हासिल,फ़िर भी क्या पाएंगे हम
इतनी बरकत से न होगी तस्कीन,बस उनको ही चाहेंगे हम
एक जिंदगी नही है गर काफी,उनकी आरजू में मिट जाने को
खुशी से होंगे रुखसत जहाँ से,फ़िर एक बार लौट आयेंगे हम
इतनी बरकत से न होगी तस्कीन,बस उनको ही चाहेंगे हम
एक जिंदगी नही है गर काफी,उनकी आरजू में मिट जाने को
खुशी से होंगे रुखसत जहाँ से,फ़िर एक बार लौट आयेंगे हम
Thursday, June 12, 2008
मीठी सी चुभन
दामन ख्वाबो का हर लम्हा छूता है कोई
पलको में छुप के दिल में आता है कोई
हर सु है जिक्र उनका मेरी दुनिया में
बनके चुभन मीठी सी मुझको सताता है कोई
पलको में छुप के दिल में आता है कोई
हर सु है जिक्र उनका मेरी दुनिया में
बनके चुभन मीठी सी मुझको सताता है कोई
Thursday, May 29, 2008
इश्क एक इबादत
कैसे न कहे तुमको खुदा,सजदे में तेरे सर झुका जाता है
कैसे न करे तुमसे वफ़ा,कदमो में तेरे दिल रुका जाता है
कुछ तो बात है तुझमे यहाँ,जो किसी और में नही
कैसे न छाए दिल पे नशा,ये बस तुम्हारा हुवा जाता है
कैसे न करे तुमसे वफ़ा,कदमो में तेरे दिल रुका जाता है
कुछ तो बात है तुझमे यहाँ,जो किसी और में नही
कैसे न छाए दिल पे नशा,ये बस तुम्हारा हुवा जाता है
Sunday, May 25, 2008
दिल की सदा
दिखलायीं मोहब्बत ने हमे आख़िर तड़प की इन्तहाँ
लिखवाई आरजू-ए-यार ने हमसे एक दर्द की दास्ताँ
मालिक,क्या ये नही काफी,उनके वाकिफ हो जाने को
के,हर कतरा मेरे खून-ए-जिगर का दे रहा है उनको सदा
लिखवाई आरजू-ए-यार ने हमसे एक दर्द की दास्ताँ
मालिक,क्या ये नही काफी,उनके वाकिफ हो जाने को
के,हर कतरा मेरे खून-ए-जिगर का दे रहा है उनको सदा
सदा-आवाज,दास्ताँ-कहानी
वाकिफ-पहचाना हुवा
सितारा
क्यो भाता है कोई एक,हजारो में
क्यो नजर आता है वोही,नजरो में
ख्वाहिशे आसमाँ छूने लगती है ऐसे में
क्यो बन के खुदा वोही,बैठ जाता है सितारों में
क्यो नजर आता है वोही,नजरो में
ख्वाहिशे आसमाँ छूने लगती है ऐसे में
क्यो बन के खुदा वोही,बैठ जाता है सितारों में
Tuesday, May 20, 2008
खुदा की मर्जी
जाने क्या तेरे दिल मे है खुदा
आरजू उनकी मैं कर बैठा यहाँ
यू तो कुछ होता नही तेरी मर्जी के सिवा
उन तक तो पोह्चां दे मेरे धडकनों की सदा
कारवाँ दिल का
जाने कौनसी मंजिल पायेगा,ये कारवाँ दिल का
क्या मिलेगा राह-ए-आरजू मे,मेहमाँ दिल का
ऐसा मिले हमसफ़र, तो कही न ठहरे हम
ख़ुद हो के बेखुद साथ चलेगा आसमाँ दिल का
Sunday, April 6, 2008
जिंदगी का तराना
मिलता गर हमको रास्ता कोई ,तो हम भी ठिकाना पा लेते
अपनी किस्मत ने रखां तनहा,वर्ना हम भी जमाना पा लेते
जो भी बजाना चाहा,हर साज तोड़ दिया अपनी तकदीर ने
महफिल मे जिंदगी की वर्ना,हम भी कोई तराना गा लेते
अपनी किस्मत ने रखां तनहा,वर्ना हम भी जमाना पा लेते
जो भी बजाना चाहा,हर साज तोड़ दिया अपनी तकदीर ने
महफिल मे जिंदगी की वर्ना,हम भी कोई तराना गा लेते
Wednesday, April 2, 2008
खून-ए-दिल
नीले आसमाँ पे मिलेगा लोगो,एक अब्र-ए-सुर्ख का निशाँ
लिखा है खून-ए-दिल से मैंने, फलक पे नाम उनका
अब्र-बादल , सुर्ख- लाल, फलक-आसमान
Friday, March 21, 2008
हसरत
अश्को से शिकवा नही,खुशियों मोहब्बत नही
तोडे कोई दिल फिर भी,हमे उनसे शिकायत नही
जलाई तकदीर ने बहारे, हसरतों के गुलशन की
जिंदा रहके भी मुझे अब,जीने की हसरत नही
तोडे कोई दिल फिर भी,हमे उनसे शिकायत नही
जलाई तकदीर ने बहारे, हसरतों के गुलशन की
जिंदा रहके भी मुझे अब,जीने की हसरत नही
Thursday, March 20, 2008
वजूद
इस जहाँ मे मेरे होने का कब सुबूत था
मुझ मे मैं ही कहाँ मौजूद था
चलते फिरते जिस्म को कैसे कहूँ जिंदगी
ढुंढते ढुंढते थक गया जिसे वो मेरा वजूद था
मुझ मे मैं ही कहाँ मौजूद था
चलते फिरते जिस्म को कैसे कहूँ जिंदगी
ढुंढते ढुंढते थक गया जिसे वो मेरा वजूद था
हासिल
मंझधार मे है मेरी कश्ती,साहिल कहाँ है क्या जाने
चल रहा हूँ मैं डगर अपनी,मंजिल कहाँ है क्या जाने
यू तो खिल जाता है फूल,एक दिन सहरा मे भी
मेरी जिंदगी का मगर,हासिल कहाँ है क्या जाने
चल रहा हूँ मैं डगर अपनी,मंजिल कहाँ है क्या जाने
यू तो खिल जाता है फूल,एक दिन सहरा मे भी
मेरी जिंदगी का मगर,हासिल कहाँ है क्या जाने
Wednesday, March 19, 2008
अंजुमन
आहट उनके आने की,धड़कन बन जाती है
छुपाऊ क्या बताऊ क्या,उलझन बन जाती है
मुस्कुराके देखना उनका,होता है सबब नशे का
झुमके फिर ये जिंदगी,अंजुमन बन जाती है
अंजुमन-महफिल
छुपाऊ क्या बताऊ क्या,उलझन बन जाती है
मुस्कुराके देखना उनका,होता है सबब नशे का
झुमके फिर ये जिंदगी,अंजुमन बन जाती है
अंजुमन-महफिल
Tuesday, March 18, 2008
इम्तेहा दिल का
खामोश दिल की गलियों मे ये तुफाँ कैसा
नजरो से दिल तक पोह्चा ये मेहमाँ कैसा
सुकु था कल तक दिल को,मगर अब नही
बेचैनी ले रही है हर पल ये इम्तेहा कैसा
नजरो से दिल तक पोह्चा ये मेहमाँ कैसा
सुकु था कल तक दिल को,मगर अब नही
बेचैनी ले रही है हर पल ये इम्तेहा कैसा
Friday, March 14, 2008
दर्द-ओ-बेखुदी
हर शै है पास मेरे,बस एक होश के सिवा
कुछ नही है सीने मे, बस एक सोंज के सिवा
छिना है जिसने चैन,काश वो मिल जाए
शमा-ऐ-दिल न जलेगी अब उस अफरोज के सिवा
सोंज-जलन
अफरोज-महफिल मे शमा जलानेवाला
कुछ नही है सीने मे, बस एक सोंज के सिवा
छिना है जिसने चैन,काश वो मिल जाए
शमा-ऐ-दिल न जलेगी अब उस अफरोज के सिवा
सोंज-जलन
अफरोज-महफिल मे शमा जलानेवाला
Saturday, March 1, 2008
अहसास
कोई नगमा न हो प्यार का, एक लब्ज की मिठास ही काफी है
मुकम्मल न हो दिल की दास्ताँ,उसका आगाज ही काफी है
ऐतबार ही है फकत इलाज इन दुरियो का
करीब कोई हो न हो,किसी के पास होने का अहसास ही काफी है
मुकम्मल न हो दिल की दास्ताँ,उसका आगाज ही काफी है
ऐतबार ही है फकत इलाज इन दुरियो का
करीब कोई हो न हो,किसी के पास होने का अहसास ही काफी है
Thursday, February 21, 2008
Friday, February 15, 2008
Saturday, February 2, 2008
दोस्ती
छूटे तो छुट जाये पतवार मेरी कश्ती का
मिटे तो मिट जाये निशा मेरी हस्ती का
दर्द भी ख़ुशी बन जाएगा मेरे लिए
जब तलक रहूंगा थामे दामन मैं तेरी दोस्ती का
मिटे तो मिट जाये निशा मेरी हस्ती का
दर्द भी ख़ुशी बन जाएगा मेरे लिए
जब तलक रहूंगा थामे दामन मैं तेरी दोस्ती का
Tuesday, January 22, 2008
---किये जा
हर मंजिल तक सफर मुकम्मल किये जा
पुरजोर कोशीशे तू मुसलसल किये जा
कारवा मे तेरे फिर कोई हो न हो
हर बढ़ते कदम पे दिल तसल्ल किये जा
पुरजोर कोशीशे तू मुसलसल किये जा
कारवा मे तेरे फिर कोई हो न हो
हर बढ़ते कदम पे दिल तसल्ल किये जा
Sunday, January 20, 2008
सियासत
कभी हमे चाहनेवाले,आज हमसे अदावत करते हो
कोई अहेतराम नही,हर बात की शिक़ायत करते हो
क्या थोडा भी इल्म है तुम्हे अपने जुल्मो का
हमसे चाहते हो दुरी,अच्छी सियासत करते हो
कोई अहेतराम नही,हर बात की शिक़ायत करते हो
क्या थोडा भी इल्म है तुम्हे अपने जुल्मो का
हमसे चाहते हो दुरी,अच्छी सियासत करते हो
तकदीर
हर शाम बीती शब-ए-वस्ल की चाह मे
हर सुबह आयी मायूसी की आह मे
हकीकत हम-जमी न बन सकी कभी ख्वाब की
यू ही जिंदगी गुजरी तकदीर-ए-सियाह मे
शब-ए-वस्ल---मिलन की रात
तकदीर-ए-सियाह---काली तकदीर
हर सुबह आयी मायूसी की आह मे
हकीकत हम-जमी न बन सकी कभी ख्वाब की
यू ही जिंदगी गुजरी तकदीर-ए-सियाह मे
शब-ए-वस्ल---मिलन की रात
तकदीर-ए-सियाह---काली तकदीर
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