Saturday, August 27, 2016

२७ ऑगस्ट... चले जाना ज़रा ठहरो..
दिल जलता है तो जलने दे,आँसू न बहा फ़रियाद न कर। … पासून तर मै पल दो पल का शायर हूँ पर्यन्त
आपला प्रवास करणारे श्रेष्ठ गायक मुकेश यांचा आज ४० वा स्मृतिदिन।
ओह रे ताल मिले नदी के जल में,नदी मिले सागर में,सागर मिले कौनसे जल में,कोई जाने ना.।
शैलेन्द्र नी लिहिलेले हे वास्तव मुकेश च्या आवाजात अजुन समर्पक वाटतं …आणि खरंच मुकेश नावाचा तो समुद्र आपल्या आयुष्यात कसा बे-मालूम पणे मिसळून गेला आहे याचं ही आपल्याला भान उरत नाही।
स्व. मुकेश चन्द्र माथुर यांना अभिवादन.

Friday, August 26, 2016

मेरे महबूब में क्या नहीं -मेरे महबूब/१९६३/नौशाद/शक़ील/लता-आशा/On Screen -साधना-अमिता


ल: मेरे महबूब में क्या नहीं क्या नहीं 
मेरे महबूब में क्या नहीं 
वो तो लाखों में है एक हसीं 
वो तो लाखों में है एक हसीं, एक हसीं 

आ: मेरे महबूब में क्या नहीं, क्या नहीं 
मेरे महबूब में क्या नहीं 
भोली सूरत अदा नाज़नीं 
भोली सूरत अदा नाज़नीं, नाज़नीं 
मेरे महबूब में क्या नहीं, क्या नहीं 
मेरे महबूब में क्या नहीं 
ल: आ ऽ ऽ
 मेरा महबूब एक चाँद है 
 हुस्न अपना निखारे हुवे  
आ: ओ ऽ ऽ
ल: आसमाँ का फ़रिश्ता है वो 
 रूप इंसाँ का धारे हुवे  
आ: ओ ऽ ऽ
ल: रश्क\-ए\-जन्नत है वो महज़बीं 
 रश्क\-ए\-जन्नत है वो महज़बीं, महज़बीं 
 मेरे महबूब में क्या नहीं, क्या नहीं 

आशा: आ ऽ ऽ
माह हो अन्जुम हो या कहकशाँ 
 सबसे प्यारा है मेरा सनम 
ल: आ ऽ ऽ
आ: उसके जलवों में है वो असर 
 होश उड़ जाये अल्लाह क़सम 
लता: आ ऽ ऽ
आ: देख ले गर उसे तू कहीं 
 देख ले गर उसे तू कहीं, तू कहीं 
 मेरे महबूब में क्या नहीं, क्या नहीं 
 मेरे महबूब में क्या नहीं 

ल: मेरा महबूब है जानेमन 
 सर्व कदमाह रूह बदन 
आ: मेरा दिलवर है ऐसा जवाँ 
 हो बहारों में जैसे चमन 
ल: उस की चालों में ऐसी लचक 
 जैसे फूलों कि डाली हिले 
आ: उस की आवाज़ में वो खनक 
 जैसे शीशे से शीशा मिले 
 उस के अंदाज़ है दिलनशीं 
दोनो: भोली सूरत अदा नाज़नीं, नाज़नीं 
 मेरे महबूब में क्या नहीं, क्या नहीं 
 मेरे महबूब में क्या नहीं 

आ: तेरे अफ़सानों में मेरी जाँ 
 है झलक मेरी अफ़सानों की 
ल: दास्तानें है मिलती हुईं 
 अल्लाह हम दोनो परवानों 
दोनो: परवानों की
दोनो: एक ही शमा हो ना कहीं 
 वो तो लाखों में है एक हसीं, एक हसीं 
 मेरे महबूब में क्या नहीं, क्या नहीं  
रश्क़- हेवा वाटणे
रश्के-जन्नत-स्वर्गालाही हेवा वाटावा असा
अंजुम-तारे
माह-चंद्र
कहकशां-आकाशगंगा
सर्व-सुरुचं झाड़