वो ख्वाब क्या हुवे,जो हकीकत की राह चले थे
वो चराग क्यों बुझे,जो अपनी दुनिया में जले थे
क्या आ के लौट ही जाना था,चमन से बहारो को
क्या दूर ही जाने को हम से,आखिर वो मिले थे
Friday, January 15, 2010
Sunday, January 3, 2010
आ गये वो
चुपके से बज़्मे-ए-ख़्वाब,दिल में सजा गये वो
रंग किसी नशे के,मेरी हस्ती पे जमा गये वो
धडकनों से सजा रखी हैं मैंने,हर राह उनकी
संग मेरी ख़्वाहिशों के,मेरे घर तक आ गये वो
@ मनिष गोखले...
रंग किसी नशे के,मेरी हस्ती पे जमा गये वो
धडकनों से सजा रखी हैं मैंने,हर राह उनकी
संग मेरी ख़्वाहिशों के,मेरे घर तक आ गये वो
@ मनिष गोखले...
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