बड़े नाज़ से सजाई है हमने,महफिल में तुम आओगे क्या
मिलने की खातिर दिल से मेरे,अपना दिल लाओगे क्या
कबसे तरस रही मेरी हसरते,हकीकत में बदल जाने को
ख्वाब से सजी इस जिंदगी को,हकीकत बनाओगे क्या
Thursday, July 3, 2008
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1 comment:
बड़े नाज़ से सजाई है हमने,महफिल में तुम आओगे क्या
मिलने की खातिर दिल से मेरे,अपना दिल लाओगे क्या.
bahut badhiya,
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