मस्ती भरी अदाए उनकी,छलकते जाम से कम नही
शोखी उनके नजरो की,खुबसूरत पैगाम से कम नही
जो भी देखे उनको खो जाए बस राह-ऐ-बेखुदी में
मदहोशी की यह रहगुजर किसी मकाम से कम नही
Sunday, June 22, 2008
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This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
1 comment:
bhut sundar bhav.likhate rhe.
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