Thursday, June 26, 2008

मेरा चेहरा उनकी सूरत

हर धड़कन किताब-ऐ-आरज़ू में,उनका ही नाम लिखने लगी है
हर पल हर लम्हा ये ज़िंदगी,सबक-ऐ-इश्क सिखने लगी है
किस कदर छायी है दीवानगी,कोई जाके जरा आईने से तो पूछे
के मेरे चेहरे में भी अब मुझको,उनकी ही सूरत दिखने लगी है

1 comment:

Anonymous said...

मेरे चेहरे में भी अब मुझको उनकी ही सूरत दिखने लगी है bhut sundar.sundar rachana ke liye badhai.