हर धड़कन किताब-ऐ-आरज़ू में,उनका ही नाम लिखने लगी है
हर पल हर लम्हा ये ज़िंदगी,सबक-ऐ-इश्क सिखने लगी है
किस कदर छायी है दीवानगी,कोई जाके जरा आईने से तो पूछे
के मेरे चेहरे में भी अब मुझको,उनकी ही सूरत दिखने लगी है
हर पल हर लम्हा ये ज़िंदगी,सबक-ऐ-इश्क सिखने लगी है
किस कदर छायी है दीवानगी,कोई जाके जरा आईने से तो पूछे
के मेरे चेहरे में भी अब मुझको,उनकी ही सूरत दिखने लगी है
1 comment:
मेरे चेहरे में भी अब मुझको उनकी ही सूरत दिखने लगी है bhut sundar.sundar rachana ke liye badhai.
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