जाने कौनसी मंजिल पायेगा,ये कारवाँ दिल का
क्या मिलेगा राह-ए-आरजू मे,मेहमाँ दिल का
ऐसा मिले हमसफ़र, तो कही न ठहरे हम
ख़ुद हो के बेखुद साथ चलेगा आसमाँ दिल का
This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
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