चैन से ये भी न गुज़रेगा,जो वक्त बचा है ज़रासा ज़िंदगी का
जी ते जी कितनी बार उठेगा अब और जनाजा ज़िंदगी का
एक लम्हा भी न हासिल हुवा कभी,नाज़ कर लेते जिस पे हम
ऐ खुदा रहने दे,बहोत हो चुका अब ये तमाशा ज़िंदगी का
जी ते जी कितनी बार उठेगा अब और जनाजा ज़िंदगी का
एक लम्हा भी न हासिल हुवा कभी,नाज़ कर लेते जिस पे हम
ऐ खुदा रहने दे,बहोत हो चुका अब ये तमाशा ज़िंदगी का
1 comment:
बढिया मुकत्क है।
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