आहट उनके आने की,धड़कन बन जाती है
छुपाऊ क्या बताऊ क्या,उलझन बन जाती है
मुस्कुराके देखना उनका,होता है सबब नशे का
झुमके फिर ये जिंदगी,अंजुमन बन जाती है
अंजुमन-महफिल
Wednesday, March 19, 2008
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This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
1 comment:
सुन्दर मुक्तक है।बधाई।
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