बीच भवर में हम है फसे और लहरें भी हुवी बेवफा
फासले ऐसे में साहिल से हर पल हो रहे है जियादा
कही इतनी दुरी न हो जाए,के देख सके न हमे कोई
तन्हाई में मिट के रहेगी वरना इस जिंदगी की दास्ताँ
Wednesday, August 13, 2008
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