Sunday, December 7, 2008

आओ करीब इतने...

आओ करीब इतने,के तेरी जुल्फ बिखर जाये मेरी शानो पर
आओ करीब इतने,के जोर धडकनों का हो दिल के खानों पर
के मेरी साँसों में घुल जाने दो आज अपनी साँसों का शमीम
आओ करीब इतने,के बर्क लहरा जाये इश्क के आसमानों पर

शानो पर -कंधे पर

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