Monday, March 28, 2011

पहले भी कुछ....

पहले भी कुछ मिलता था तुमसे,आज भी कुछ मिलता है
फर्क इतना ही है के मोहब्बत की जगह झिझक ने ली है
पहले भी ढूंढता था मै अक्सर,तुझ को तुझ ही में लेकिन
इस दायरे की जगह अब शायद,फैले हुवे उफक ने ली है

उफक--क्षितिज

Friday, March 25, 2011

फिर से एक बार

वो जख्म भरेंगे कैसे,अगर बार बार छेड़े जाये
दिल क्यों न दुखेंगे,अगर बार बार तोड़े जाये
मोहब्बत करनेवाले तुमसे,यही चाहेंगे फिर भी
वो ठहरे हुवे रिश्ते,फिर से एक बार जोड़े जाये