Saturday, June 22, 2013

वाह क्या नजर है उसकी,और कहने को हबीब-ए-अज़ीज़ है 
मै जानता हु क्या तंग-जर्फ़ है वो,नीयत उसकी गलीज़ है 
उम्रभर खेल के जा पे हमने साथ निभाया उसका मुसलसल 
जान गवाने को आया हु अब,और समझा के वो क्या चीज़ है 




Tuesday, June 18, 2013

फिर आखो में है तुफा...

फिर आखो में है तुफा,फिर लगा ये दिल धड़कने 
फिर ख्वाब-ओ-ताबीर में जीस्त लगी है उलझने 
फिर एक शिद्दत सी मेरी सासों में है जागी हुवी 
फिर जिस्म-ओ-रूह मेरी आज लगी है तडपने