ढूंढे नही मिला सुकू,मस्जिदों मे खराबातो मे
दिल बहल न पाया उनसे मुलाकातों मे
कोई जतन नजर नही आता मुझको,एक के सिवा
कुछ तो नरमी पैदा हो जाये उनके जज्बातों मे
Saturday, December 29, 2007
Thursday, November 29, 2007
जन्मों-जन्मीच नातं
जन्मों-जन्मीचं नातं एका क्षणात तुट्लं का गं
पुन्हा जोडावं असं तुला नाही वाटलं का गं?
एकमेकांच्या सुखदुःखाचे प्रवाह काल पर्यंत होते एक
भावनेचं हे पाणीं मात्र आज आटलं का गं?
आपण दोन पक्षी,उड़त होतो एकाच आकाशी
प्रेमाच्या या पंखांना नशिबनं छाटलं का गं ?
दाखवण्यासाठी मला उगाच हसतोस तू
डोळ्यात मग तुझ्या पाणी दाटलं का गं?
सोड सगळे दुरावे, येऊ पुन्हा एकत्र आपण
आयुष्य अजून आहे बाकी,हे एवढ़्यावरच साठलं का गं?
पुन्हा जोडावं असं तुला नाही वाटलं का गं?
एकमेकांच्या सुखदुःखाचे प्रवाह काल पर्यंत होते एक
भावनेचं हे पाणीं मात्र आज आटलं का गं?
आपण दोन पक्षी,उड़त होतो एकाच आकाशी
प्रेमाच्या या पंखांना नशिबनं छाटलं का गं ?
दाखवण्यासाठी मला उगाच हसतोस तू
डोळ्यात मग तुझ्या पाणी दाटलं का गं?
सोड सगळे दुरावे, येऊ पुन्हा एकत्र आपण
आयुष्य अजून आहे बाकी,हे एवढ़्यावरच साठलं का गं?
वजह तो हो...
सजा देते हो तुम,मगर कोई गुनाह तो हो
चुराते हो नजर क्यो,इस जानिब एक निगाह तो हो
मेरी वफ़ा का मुझको मिला है कैसा ये सिला
हम से चाहते हो दुरी,मगर कोई वजह तो हो
चुराते हो नजर क्यो,इस जानिब एक निगाह तो हो
मेरी वफ़ा का मुझको मिला है कैसा ये सिला
हम से चाहते हो दुरी,मगर कोई वजह तो हो
Friday, November 9, 2007
क्या जाने
इस दिल के गम ए जानेजिगर तू क्या जाने
क्यों हुवा तू इतना बे-असर क्या जाने
एक था वो भी जमाना,दर्द था तेरे सीने मे
अचानक क्यों बन गया तू सितमगर क्या जाने
क्यों हुवा तू इतना बे-असर क्या जाने
एक था वो भी जमाना,दर्द था तेरे सीने मे
अचानक क्यों बन गया तू सितमगर क्या जाने
Tuesday, November 6, 2007
कायम रहे ...
तेरी जुल्फ के जुल्मात,निगाहों मे नूर कायम रहे
मेरे दिल मे शौक,तेरा हुस्न-ए-हूर कायम रहे
कुछ तो नशा चाहिऐ जीने के लिए मुझको
मेरी आरजू ओ मे तेरे जलवों का सुरूर कायम रहे
मेरे दिल मे शौक,तेरा हुस्न-ए-हूर कायम रहे
कुछ तो नशा चाहिऐ जीने के लिए मुझको
मेरी आरजू ओ मे तेरे जलवों का सुरूर कायम रहे
Friday, November 2, 2007
ऐतबार
इस दिल को यू ही बेकरार रहने दे
तू न आ,तेरा इंतजार रहने दे
दो पल की जुदाई कभी जोड़ जाती है दो दिलो को
मिलेंगे मगर एक दिन इतना ऐतबार रहने दे
तू न आ,तेरा इंतजार रहने दे
दो पल की जुदाई कभी जोड़ जाती है दो दिलो को
मिलेंगे मगर एक दिन इतना ऐतबार रहने दे
Saturday, September 22, 2007
Wednesday, August 29, 2007
Saturday, August 18, 2007
सुकून
कंधे पे सर रख के झुल्फो मे खोने दो मुझको
यु कुछ देर लिपट के तुमसे सोने दो मुझको
इन्ही लम्हों के खातीर जी रहा था अब तक
जी भर के इस जिंदगी का होने दो मुझको
यु कुछ देर लिपट के तुमसे सोने दो मुझको
इन्ही लम्हों के खातीर जी रहा था अब तक
जी भर के इस जिंदगी का होने दो मुझको
जुदाई
जीते जी कब जुदा होता है जिस्म खु से
नजर कब दूर रह सकी है आसू से
इश्क किया है जिसने वो कैसे करे इन्कार
दिल-ए-आशिक कब जुदा हुवा है आरजू से
नजर कब दूर रह सकी है आसू से
इश्क किया है जिसने वो कैसे करे इन्कार
दिल-ए-आशिक कब जुदा हुवा है आरजू से
छोड़ दो...
रहनो दो वो हुस्न मेरी तकदीर मे नही
मेरे ख्वाब मे तो है मगर मेरी ताबीर मे नही
हर रास्ते को कहा मिलती है मंजिल यहाँ पर
वो मेरे आगाज मे तो है मगर मेरी आख़िर मे नही
मेरे ख्वाब मे तो है मगर मेरी ताबीर मे नही
हर रास्ते को कहा मिलती है मंजिल यहाँ पर
वो मेरे आगाज मे तो है मगर मेरी आख़िर मे नही
Wednesday, August 15, 2007
उम्मीद
मैं जर्रा इस जमीं का
तू परी किसी दुसरे आसमाँ की
फिर भी दिल मे उम्मीद है बाकी
के देखा है कही आसमाँ को जमी से मिलते हुवे
तू परी किसी दुसरे आसमाँ की
फिर भी दिल मे उम्मीद है बाकी
के देखा है कही आसमाँ को जमी से मिलते हुवे
रुका हुवा वक्त
कहता है जमाना,भर जाता है हर जख्म मरहम-ए-वक्त से
पर,कैसे मिटे दाग-ए-दिल उनके रुका है वक्त जिनके लिए
पर,कैसे मिटे दाग-ए-दिल उनके रुका है वक्त जिनके लिए
Tuesday, August 14, 2007
गम न करेंगे
गम न करेंगे तू जो साथ है
गम न करेंगे तकदीर जो तेरे हाथ है
तू जो रूठे तो मना लेंगे
तू जो हँसे तो क्या बात है
गम न करेंगे तकदीर जो तेरे हाथ है
तू जो रूठे तो मना लेंगे
तू जो हँसे तो क्या बात है
खामोशी
चाहे ख्वाबों मे उनसे जितनी भी मुलाक़ात किजीये
दर्द-ए-दिल बढ़ जाता है जितने भी उनके ख़यालात किजीये
हर सवाल का जवाब ग़र खामोशी है यहाँ पर
फिर चाहे जिन्दगी से कितने भी सवालात किजीये
दर्द-ए-दिल बढ़ जाता है जितने भी उनके ख़यालात किजीये
हर सवाल का जवाब ग़र खामोशी है यहाँ पर
फिर चाहे जिन्दगी से कितने भी सवालात किजीये
तो अच्छा था
वही मंजिले मुझको मिली, जो न मिलती तो बहोत अच्छा था
काटो के सीवा कालिया खिली,जो न खिलती तो बहोत अच्छा था
झूठी खुशियों का वादा लेकर सुबह आयी,रात ढलने के बाद
वो गम की शाम ही न ढलती तो बहोत अच्छा था
काटो के सीवा कालिया खिली,जो न खिलती तो बहोत अच्छा था
झूठी खुशियों का वादा लेकर सुबह आयी,रात ढलने के बाद
वो गम की शाम ही न ढलती तो बहोत अच्छा था
Saturday, August 4, 2007
शौक़-ए-शायरी
इन गेसुओ की काली घटा बन गयी है रोशनी मेरी
मदहोश अदा तेरी बन गयी है बेखुदी मेरी
तहय्युर-ए-हुस्न मे न आते थे लब्ज जबाँ पे,तेरे मिलने से पहले
शौक़-ए-शायरी बन गयी है अब जिंदगी मेरी
मदहोश अदा तेरी बन गयी है बेखुदी मेरी
तहय्युर-ए-हुस्न मे न आते थे लब्ज जबाँ पे,तेरे मिलने से पहले
शौक़-ए-शायरी बन गयी है अब जिंदगी मेरी
जिंदगी मिलती नही
जिंदगी मिलती नही और कमबख्त मौत भी आती नही
टूटता भी नही जाम खाली और शराब भी मिलती नही
अँधेरा ही अँधेरा है जिस जानिब देखू मैं
सुबह भी होती नही और रात भी ढलती नही
टूटता भी नही जाम खाली और शराब भी मिलती नही
अँधेरा ही अँधेरा है जिस जानिब देखू मैं
सुबह भी होती नही और रात भी ढलती नही
Thursday, August 2, 2007
दिल
बे-इन्तहा बे-वजह बेकाबू हो गया
ये दिल,दिल ना रहा खाना-ए-आरजू हो गया
एक पल भी अब चैन आये कहा से
मकसद-ए-जिंदगी यार की जुस्तजू हो गया
ये दिल,दिल ना रहा खाना-ए-आरजू हो गया
एक पल भी अब चैन आये कहा से
मकसद-ए-जिंदगी यार की जुस्तजू हो गया
Friday, July 27, 2007
हाल-ए-दिल
किसीकी याद मे तड़पता है ये दिल
एक आरजू लिए धड़कता है ये दिल
लाख हो मैखाने इस शहर मे लेकिन
एक तेरे ख़याल से बहकता है ये दिल
किसीकी याद मे ...........
तेरी जुल्फ से गिरा वो फुल,सीने से लगाया मैंने
फुल से जियादा अब महकता है ये दिल
किसीकी याद मे ...........
दिखलाके एक झलक जाने वो कहा खो गए
कहा कहा न जाने अब भटकता है ये दिल
किसीकी याद मे.............
एक आरजू लिए धड़कता है ये दिल
लाख हो मैखाने इस शहर मे लेकिन
एक तेरे ख़याल से बहकता है ये दिल
किसीकी याद मे ...........
तेरी जुल्फ से गिरा वो फुल,सीने से लगाया मैंने
फुल से जियादा अब महकता है ये दिल
किसीकी याद मे ...........
दिखलाके एक झलक जाने वो कहा खो गए
कहा कहा न जाने अब भटकता है ये दिल
किसीकी याद मे.............
Tuesday, July 24, 2007
तस्कीन
खुदा जिंदगी मेरी कुछ तो रंगीन हो जाये
वो आये तो तुझपे यकीन हो जाये
कब तक चलेंगे सिलसिले यु हिजाब-ओ-पर्दो के
दीदार-ए-यार हो तो दिल की तस्कीन हो जाये
वो आये तो तुझपे यकीन हो जाये
कब तक चलेंगे सिलसिले यु हिजाब-ओ-पर्दो के
दीदार-ए-यार हो तो दिल की तस्कीन हो जाये
दिल की बात करो
तनहाई की बाते हो चुकी,महफिल की बात करो
रस्तो के चर्चे हो चुके,मंजिल की बात करो
और कितना वक्त गुजरेगा यु झिझ्कने मे
नजरो के वादे तो हो चुके कुछ दिल की बात करो
रस्तो के चर्चे हो चुके,मंजिल की बात करो
और कितना वक्त गुजरेगा यु झिझ्कने मे
नजरो के वादे तो हो चुके कुछ दिल की बात करो
कही खो gaye
लोग आगे निकल जाते है,बदल जाते है
खुद ही गिरते है,संभल जाते है
जिनकी रहो मे बिछायी थी हमने बहारे
वोही आके हर एक फुल मसल जाते है
खुद ही गिरते है,संभल जाते है
जिनकी रहो मे बिछायी थी हमने बहारे
वोही आके हर एक फुल मसल जाते है
Monday, July 23, 2007
---बाकी hai
टूट के भी दिल मे अभी धड़कन बाकी है
अन-सुलझी हुवी अभी एक उलझन बाकी है
कहते जिंदगी खेल है सुख और दुःख का
ख़ुशी की अब तक लेकिन मुझसे अनबन बाकी है
अन-सुलझी हुवी अभी एक उलझन बाकी है
कहते जिंदगी खेल है सुख और दुःख का
ख़ुशी की अब तक लेकिन मुझसे अनबन बाकी है
Yaad
फिर किसीकी याद आयी,खामोशी मे तुफान आया
राह चलते चलते करीब,जब उसका मकान आयाजवाँ हो के सिमटने लगी,वो बिखरी हुवी हरसते
हक़ीकत की ज़मीं से मिलने,ख्वाबो का आसमान आया
राह चलते चलते करीब,जब उसका मकान आयाजवाँ हो के सिमटने लगी,वो बिखरी हुवी हरसते
हक़ीकत की ज़मीं से मिलने,ख्वाबो का आसमान आया
Saturday, July 21, 2007
hum na rahe
क्या बताये तुमसे बिछड़ के हम, हम ना रहे
एक तो गम-ए-हिज्र रहा और कोई गम ना रहे
दूर गुलजारो मे फूल रहे मुर्जाये हुवे
और दामन मे मेरे काटे भी कम ना रहे
एक तो गम-ए-हिज्र रहा और कोई गम ना रहे
दूर गुलजारो मे फूल रहे मुर्जाये हुवे
और दामन मे मेरे काटे भी कम ना रहे
Friday, July 20, 2007
Tu nahi ya mai nahi
सबब और न बन सकेंगे जीने के अब तेरी यादो के सहारे
अब के इस दिल ने है ठानी या तू नही या फिर मैं नही
अब के इस दिल ने है ठानी या तू नही या फिर मैं नही
tera khayal
तेरा हुस्न एक जवाब,मेरा इश्क एक सवाल ही सही
तेरे मिलने कि ख़ुशी नही,तुझसे दुरी का मलाल ही सही
तू न जान हाल इस दिल का,कोई बात नही
तू नही जिंदगी मे तो तेरा ख़याल ही सही
तेरे मिलने कि ख़ुशी नही,तुझसे दुरी का मलाल ही सही
तू न जान हाल इस दिल का,कोई बात नही
तू नही जिंदगी मे तो तेरा ख़याल ही सही
Tanhai
तनहाई के सागर मे उठती है यादो कि लहरे
पल पल हुवे जाते है दिल के जख्म गहरे
ए खुदा अब कुछ ऐसा कर तू मेरे लिए
या तो मिट जाये सारे गम या फिर ये जिंदगी ठहरे
पल पल हुवे जाते है दिल के जख्म गहरे
ए खुदा अब कुछ ऐसा कर तू मेरे लिए
या तो मिट जाये सारे गम या फिर ये जिंदगी ठहरे
JINDAGI TO NAHI
उठाये जिस के लिए गम मैंने,यह वो ख़ुशी तो नही
छुपाके अश्क मुस्कुराये,मगर यह वो हसी तो नही
निकला था कहा जाने को और पोह्चा हू किस मंजिल पे
जिसके लिए इस दुनिया मे आया,यह वो जिन्दगी तो नही
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