क्या बताये तुमसे बिछड़ के हम, हम ना रहे
एक तो गम-ए-हिज्र रहा और कोई गम ना रहे
दूर गुलजारो मे फूल रहे मुर्जाये हुवे
और दामन मे मेरे काटे भी कम ना रहे
Saturday, July 21, 2007
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This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
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