जीते जी कब जुदा होता है जिस्म खु से
नजर कब दूर रह सकी है आसू से
इश्क किया है जिसने वो कैसे करे इन्कार
दिल-ए-आशिक कब जुदा हुवा है आरजू से
Saturday, August 18, 2007
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This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
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