Thursday, December 31, 2009

---क्या पता

किस तरह गुजरी ये शब्-ए-ख़याल,क्या पता
हाय!क्यों तडपा गया उनका जमाल,क्या पता
इब्तिदा-ए-इश्क समझे इसे,या फिर ख्वाब कोई
क्यों सता रहा है मुझको ये सवाल,क्या पता

1 comment:

Roja said...

All are too good to read. Good job.
Keep up ji