चलते रहे हम,जब तक न कोई मकां मिले
है मजा और भी,गर साथ कोई कारवां मिले
पोहोचना मंजिल पे है मगर सबकुछ यहाँ
चाहे साथ रहे कोई,या फ़िर वो तनहा मिले
Monday, December 7, 2009
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This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
1 comment:
bahut hi sundar vichaar...
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