Thursday, December 17, 2009

हमे आजमाओ तुम

ऐसे ही तुम शरमाते रहो और मुस्कुराते रहो
गौहर अपनी हया के फजा में बिखराते रहो
सबूत हमने भी दिये है कितने दीवानगी के
खुदा के लिये हमे और तुम आजमाते रहो

1 comment:

Mohammed Zaki Ansari said...

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