Thursday, December 17, 2009

सवेरा हो गया

बेहोश कर दिया खुलती जुल्फ ने किसीकी
इन अंधेरो में भी जैसे एक सवेरा हो गया
आसमाँ तक भरी उड़ान अपनी हसरतो ने
जन्नत में अब जिंदगी का बसेरा हो गया

No comments: