Friday, December 18, 2009

वो जुदा होते रहे

सामने इन निगाहों के तेरे साये जुदा होते रहे
हसरतो की बाग़ में खिले ख्वाब बस रोते रहे
कश्तियां मोहब्बत की दूर ही रही किनारों से
हम भी अपनी जिंदगी आसुओ में डुबोते रहे

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