चलो मेरी वफ़ात का सबब तो बन गयी
जो ता-उम्र जीने की दवा न बन सकी
मै तो रोज़ ही बनता रहा बिखरता रहा
पर ये जिंदगी कभी उसके सिवा न बन सकी
जो ता-उम्र जीने की दवा न बन सकी
मै तो रोज़ ही बनता रहा बिखरता रहा
पर ये जिंदगी कभी उसके सिवा न बन सकी
This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
No comments:
Post a Comment