वो जख्म ख़ुशी से है सम्हाले हुवे दिल में
वज़ूद इनका ही अब मेरे जीने की दवां है
अक्स उभर आता है किसीका इन दागो में
मेरी खातिर ऐसा नज़ारा अब और कहां है
दाग… जख़्म
अक्स-प्रतिबिंब
वज़ूद इनका ही अब मेरे जीने की दवां है
अक्स उभर आता है किसीका इन दागो में
मेरी खातिर ऐसा नज़ारा अब और कहां है
दाग… जख़्म
अक्स-प्रतिबिंब
No comments:
Post a Comment