अदावते गर सच्ची होती तो कुछ बात थी
गलतफैम हो के ही अहबाब बिछड़े है सारे
एक दामन-ऐ-मोहब्बत से बांधा था सब को
किसी कच्चे धागे की तरह बिखरे है सारे This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
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