Tuesday, June 14, 2011

गलतफैमी

अदावते गर सच्ची होती तो कुछ बात थी
गलतफैम हो के ही अहबाब बिछड़े है सारे
एक दामन-ऐ-मोहब्बत से बांधा था सब को 
किसी कच्चे धागे की तरह बिखरे है सारे 

No comments: