Saturday, September 11, 2010

...टूटने से डरता है

दिल ये कुछ ऐसा है अपना,के टूटने से डरता है
साथ अपनों का किसी मोड़ पे छूटने से डरता है
दिल के एक कोने में,कुछ खुशिया है भरी हुवी
छोटा सा अपना ये जहाँ अब लूटने से डरता है  

2 comments:

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत ही प्रभावी और सुंदर पंक्तियाँ......
यह डर शायद हर इन्सान के मन में होता है।
संवेदनशील प्रस्तुति

Pawan Kumar Sharma said...

bahoot khoob