दिल ये कुछ ऐसा है अपना,के टूटने से डरता है
साथ अपनों का किसी मोड़ पे छूटने से डरता है
दिल के एक कोने में,कुछ खुशिया है भरी हुवी
छोटा सा अपना ये जहाँ अब लूटने से डरता है
Saturday, September 11, 2010
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This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
2 comments:
बहुत ही प्रभावी और सुंदर पंक्तियाँ......
यह डर शायद हर इन्सान के मन में होता है।
संवेदनशील प्रस्तुति
bahoot khoob
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