Wednesday, September 29, 2010

...मुझपे आये क्यों

हर गुनाह का इल्जाम,आखिर मुझपे आये क्यों
ना-खतावार हो के भी हम,ऐसी सजा पाए क्यों
उनकी बेवफाई का ताज्जुब,होता नहीं किसे भी
और मेरी वफ़ा को जमाना,सवालो में लाये क्यों

Wednesday, September 15, 2010

सबूत

इन सुखी निगाहों से क्या सबूत मांगते हो
ये अश्क तो आखिर अपने दिल से बह रहे है
मेरे मुस्कुराने पे ना जाओ तुम दुनिया वालो
परदे में तबस्सुम के हम ये दर्द सह रहे है

Tuesday, September 14, 2010

...जिंदगी हारी हुवी

ख़ामोशी में पड़ी है अपनी ये जिंदगी हारी हुवी
अपनी ही नजर से आप ही हमने यु उतारी हुवी 
ना अज्म-ए-सफ़र है ना वजूद किसी मंजिल का  
शौक-ए-तबाही में अब तक जो है गुजारी हुवी

Saturday, September 11, 2010

...टूटने से डरता है

दिल ये कुछ ऐसा है अपना,के टूटने से डरता है
साथ अपनों का किसी मोड़ पे छूटने से डरता है
दिल के एक कोने में,कुछ खुशिया है भरी हुवी
छोटा सा अपना ये जहाँ अब लूटने से डरता है  

Wednesday, September 8, 2010

...गिरफ्तार हो जाने दो

सरकने दो आँचल थोडा,धडकनों का दीदार हो जाने दो
प्यासी निगाहों को सम्हालना,और भी दुश्वार हो जाने दो
ताबीर मेरे ख्वाब ए हयात की,जो आज मुझसे है रूबरू
इस क़ैद ए बेखुदी में मुझको तुम,गिरफ्तार हो जाने दो