मेरी कहानी नहीं कहती,मेरे हाथों की लकीरें
देखू गौर से जो इन को,तो तेरा ही ज़िक्र पाता हूँ
कुछ हाल है ऐसा ही,आजकल मेरी आँखों का
जानिबे-खुदा भी देखू,तो तेरा ही अक्स पाता हूँ
@ मनिष गोखले...
देखू गौर से जो इन को,तो तेरा ही ज़िक्र पाता हूँ
कुछ हाल है ऐसा ही,आजकल मेरी आँखों का
जानिबे-खुदा भी देखू,तो तेरा ही अक्स पाता हूँ
@ मनिष गोखले...
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