Tuesday, April 21, 2015

बेमक़सद ही निकला था घर से 
पर कुछ ले के मै लौट आया हू 
शायद कुछ कमा के आज नहीं लाया 
पर एक तजुर्बा अपने साथ लाया हूं 
तौहीन अपनों ने की,परायो ने साथ निभाया 
देखो मै आज अपनों का ही सताया हू 
अब हर गम पे हसने की ठानी है मैंने 
इसलिये आज जी भर के मुस्कुराया हू 


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