बेमक़सद ही निकला था घर से
पर कुछ ले के मै लौट आया हू
शायद कुछ कमा के आज नहीं लाया
पर एक तजुर्बा अपने साथ लाया हूं
तौहीन अपनों ने की,परायो ने साथ निभाया
देखो मै आज अपनों का ही सताया हू
अब हर गम पे हसने की ठानी है मैंने
इसलिये आज जी भर के मुस्कुराया हू
पर कुछ ले के मै लौट आया हू
शायद कुछ कमा के आज नहीं लाया
पर एक तजुर्बा अपने साथ लाया हूं
तौहीन अपनों ने की,परायो ने साथ निभाया
देखो मै आज अपनों का ही सताया हू
अब हर गम पे हसने की ठानी है मैंने
इसलिये आज जी भर के मुस्कुराया हू