एक मंजिल मेरी नज़र में गुमनाम सी है
और ये रहगुजर भी कुछ बदनाम सी है
दिल के शीशे में तो है ये अक्स किसीका
कहानी ऐ दिल मगर कुछ बेनाम सी है
और ये रहगुजर भी कुछ बदनाम सी है
दिल के शीशे में तो है ये अक्स किसीका
कहानी ऐ दिल मगर कुछ बेनाम सी है
This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.