Sunday, August 31, 2014

चुरा रही हो

 कहा से आई हो,ये जुल्फ की छाव ले कर 
मेरी हर शाम क्यों इतनी महका रही हो 
मै तो हु दीवाना अपनी ही मंजिल का 
क्यों धीरे धीरे मुझको मुझसे चुरा रही हो 



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