Tuesday, April 29, 2014

...इंतजार तेरा

खुली पलक मे तेरी ज़ुस्तज़ु,बन्द पलको मे दींदार तेरा 
ला-इलाज अब तो है मर्ज़ ये,मै तो हु एक बीमार तेरा 
जगा देँगी ये तडप मेरी,मेरा सोया हुवा मुक़द्दर भी 
तह -ऐ-रूह मे सुलगता है,न जाने कब से इंतजार तेरा 

No comments: