Saturday, July 30, 2011

तल्खिया -- एक डर

तल्ख़ जुबा वालो,जरा और तल्ख़ी से काम लो
पता तो चले,के ये जहर और कितना है बाकी
ये हो जाये,तो झांक लेना तुम गिरेबा में अपने
जान लोगे,के तुम में ये डर और कितना है बाकी  


4 comments:

निर्मला कपिला said...

ये हो जाये,तो झांक लेना तुम गिरेबा में अपने
जान लोगे,के तुम में ये डर और कितना है बाकी
अगर हर कोई अपने गिरेबाँ मे झाँक ले तो किसी को किसी से शिकायत न रहे और न ही तल्खियांम। अच्छे भा\

gazalkbahane said...

achaa likha hai badhayee

एक स्वतन्त्र नागरिक said...

सचिन को भारत रत्न क्यों?
http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/

मुकेश कुमार सिन्हा said...

sach...:)