चले आते है वो अक्सर,बड़े ही गम-गुसार बन के
छुपाके उस शगुफे में दरअसल,वो खार ले आते है
जुबा पे न हो,पर तल्खिया नजर आती है आखो में
जताते है ऐसे,के सारे ज़माने का वो प्यार ले आते है
This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
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