तल्ख़ जुबा वालो,जरा और तल्ख़ी से काम लो
पता तो चले,के ये जहर और कितना है बाकी
ये हो जाये,तो झांक लेना तुम गिरेबा में अपने
जान लोगे,के तुम में ये डर और कितना है बाकी
This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
4 comments:
ये हो जाये,तो झांक लेना तुम गिरेबा में अपने
जान लोगे,के तुम में ये डर और कितना है बाकी
अगर हर कोई अपने गिरेबाँ मे झाँक ले तो किसी को किसी से शिकायत न रहे और न ही तल्खियांम। अच्छे भा\
achaa likha hai badhayee
सचिन को भारत रत्न क्यों?
http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/
sach...:)
Post a Comment