Sunday, August 30, 2015

ये तेरे दामन की खुशबू,मेरी सांसो में घूल जाने दे
लिल्लाह! मेरी तश्नगी, इस दर्या में मिल जाने दे
छुप छुप जल उठा हू,एक आग सी लिये इस दिल में
तू दीदार ए आतिश कर और धुवा सीने से उठ जाने दे
तेरे सुर्ख़ लबों के साहिल और मेरी हसरतो की मौजे
ता-उम्र मेरी तमन्नाओं को,इसी किनारे बस जाने दे
देख मै इश्क़ ले आया हू,तेरे नायाब हुस्न की खातिर
ये सौगात ए ज़िंदगी मुझको,तेरे नाम कर जाने दे
क्या आरज़ू ए वस्ल नहीं है,तेरी बेताब हसरतो को
अब न रोक सनम ऐसे खुद को,जो होता है हो जाने दे.

लिल्लाह... अल्लाह के लिये.
आतिश.. आग
सुर्ख.... लाल
ता उम्र... उम्रभर
नायाब.. दुर्मिळ
वस्ल.. मिलन




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