Sunday, August 30, 2015

ये तेरे दामन की खुशबू,मेरी सांसो में घूल जाने दे
लिल्लाह! मेरी तश्नगी, इस दर्या में मिल जाने दे
छुप छुप जल उठा हू,एक आग सी लिये इस दिल में
तू दीदार ए आतिश कर और धुवा सीने से उठ जाने दे
तेरे सुर्ख़ लबों के साहिल और मेरी हसरतो की मौजे
ता-उम्र मेरी तमन्नाओं को,इसी किनारे बस जाने दे
देख मै इश्क़ ले आया हू,तेरे नायाब हुस्न की खातिर
ये सौगात ए ज़िंदगी मुझको,तेरे नाम कर जाने दे
क्या आरज़ू ए वस्ल नहीं है,तेरी बेताब हसरतो को
अब न रोक सनम ऐसे खुद को,जो होता है हो जाने दे.

लिल्लाह... अल्लाह के लिये.
आतिश.. आग
सुर्ख.... लाल
ता उम्र... उम्रभर
नायाब.. दुर्मिळ
वस्ल.. मिलन




Saturday, August 29, 2015

वो अपना तो न हो सका,पर उसे तनहा कैसे छोड़ दू
मुझे तो मोहब्बत है उस से,मै ये दावा कैसे छोड़ दू
जहा पायी है मैंने अक्सर,मेरे ख्वाबो की बस्तिया 
उसके घर को जाता हुवा,ये रास्ता कैसे छोड़ दू 
बस कज़ा ही छीन सकती है,मुझसे मेरी ये हसरते 
साँसों के होते हुवे,मै ये ख़्वाब आधा कैसे छोड़ दू 
माना के कुछ टूटा सा है,ये नशेमन मेरी उल्फ़त का  
पर अहसास के इन तिनको को,बिखरा कैसे छोड़ दू  
ऐ खुदा वो कही भी रहे,बस खुश रहे इस जहा में
मै आऊ न आऊ तेरे दर पे,पर ये सजदा कैसे छोड़ दू 
  
नशेमन--घरटं 
तिनका--काडी 
कज़ा --मृत्यू 


Wednesday, August 19, 2015

था गुलों में छुपाये हुवे,काटों का चलन
रहा इक उम्र हमे भी,किसी के दोस्ती का वहम
कहा वो उम्मीदे और वो शौक वफ़ा के
अब के जाना के,सारे इमान हुवे है रहन
हम गरीबों को हक़ नहीं,के कोई शिकवा करें
मुफलिसों के माथे,सजती नहीं ये शिकन
कतराता है हर सच्चाई से,ये बेमुरव्वत जहां
यही बनती है आखिर,कई दिलो की चुभन
सीखा है जो गम में भी,यू मुस्कुराना हमने 
खुली फ़िज़ा में कुछ परिंदो को,हो रही है घुटन    


रहन--गहाण ठेवणे,गिरवी रखना 
मुफ़लिस-ग़रीब 
बेमुरव्वत--निर्लज्ज  
शिकन-कपाळावरची आठी 

Tuesday, August 11, 2015

कभी मिलेंगे अजनबी बनके
शायद नयी पहचान हो जाये
यु तो है ये घड़िया मुश्किलो भरी
क्या पता कुछ आसान हो जाये
बहोत हो चुकी ये बदग़ुमानिया
आओ फिर से नादान हो जाये
खोये हुवे तवाज़ून की खातिर
काश ये वक़्त मीज़ान हो जाये
आ साथ चले दर ए खुदा की जानिब 
नयी ज़िंदगी की आज़ान हो जाये

तवाज़ून-संतुलन 
मीज़ान --तराज़ू