धड़कनो के पहलू में,इक ख्वाब भी धड़क जाता है
आ के पलकों तले,जब वो मुझ से लिपट जाता है
हो जाता है मजबूर ज़र्रा ज़र्रा,यु ही भीग जाने को
अहसास का बादल,जब शबनम लिए बरस जाता है
आ के पलकों तले,जब वो मुझ से लिपट जाता है
हो जाता है मजबूर ज़र्रा ज़र्रा,यु ही भीग जाने को
अहसास का बादल,जब शबनम लिए बरस जाता है
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