Tuesday, June 10, 2014

न जिन्दा रही न मर गयी,कहानी-ए-दिल यर्गमाल हो गयी 
आरजू-ए-बेहतरी में अक्सर,अपने ही पैरो से पामाल हो गयी 
ज़ेर-ए-तामीर फिर भी रखे हमने,इन उम्मीदों के आशियाने 
हर कोशिश-ए-तामीरी मगर,आप ही शिकस्ता हाल हो गयी 

यर्गमाल --ओलीस राहने
पामाल--पायदळी तुडवणे
ज़ेर-ए-तामीर--Under Construction




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