मै कुछ कहूँ और तुम खामोश रहो,क़ोई ताल्लुक ऐसा भी हो सकता है?
मै पलके बिछउ और तुम न आओ,कोई तक़ल्लुफ़ ऐसा भी हो सकता है?
मै पलके बिछउ और तुम न आओ,कोई तक़ल्लुफ़ ऐसा भी हो सकता है?
This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
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