खुली पलक मे तेरी ज़ुस्तज़ु,बन्द पलको मे दींदार तेरा
ला-इलाज अब तो है मर्ज़ ये,मै तो हु एक बीमार तेरा
जगा देँगी ये तडप मेरी,मेरा सोया हुवा मुक़द्दर भी
तह -ऐ-रूह मे सुलगता है,न जाने कब से इंतजार तेरा
ला-इलाज अब तो है मर्ज़ ये,मै तो हु एक बीमार तेरा
जगा देँगी ये तडप मेरी,मेरा सोया हुवा मुक़द्दर भी
तह -ऐ-रूह मे सुलगता है,न जाने कब से इंतजार तेरा