Monday, March 31, 2014

...न दिया

खामोश रखा जुबा को,और अश्क़ो को बहने न दिया 
जला आतिश ऐ उल्फत में,और धुवे को उठने न दिया 
खबर मेरी दीवानगी की फिर भी चली इस ज़माने को 
मेरी आखो ने भेद खोला,मैंने तो लाख खुलने न दिया 



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