Thursday, February 27, 2014

.....उसने

कुछ इन्किशाफ़ ये भी हुवा,जो यु नजर मिलायी उसने
एक आरजू उधर भी पायी,एक आग सी लगायी उसने 
अल्फाज़ न मिल सके उस झिझक को तो क्या हुवा 
आ के जहान ए तसव्वुर में हर एक दुरी मिटाई उसने 

इन्किशाफ़--राज़ खुल जाना

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