ये तक़दीर जो ठहरी मेरी,के प्यार जिन से किया
वोही बदगुमाँ हो गए …
इंतेहा दर्द कि अब और क्या होगी
के उनकी नजर में हम ही बे-वफ़ा हो गए
This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
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