वाह क्या नजर है उसकी,और कहने को हबीब-ए-अज़ीज़ है
मै जानता हु क्या तंग-जर्फ़ है वो,नीयत उसकी गलीज़ है
उम्रभर खेल के जा पे हमने साथ निभाया उसका मुसलसल
जान गवाने को आया हु अब,और समझा के वो क्या चीज़ है
मै जानता हु क्या तंग-जर्फ़ है वो,नीयत उसकी गलीज़ है
उम्रभर खेल के जा पे हमने साथ निभाया उसका मुसलसल
जान गवाने को आया हु अब,और समझा के वो क्या चीज़ है
No comments:
Post a Comment