फिर आखो में है तुफा,फिर लगा ये दिल धड़कने
फिर ख्वाब-ओ-ताबीर में जीस्त लगी है उलझने
फिर एक शिद्दत सी मेरी सासों में है जागी हुवी
फिर जिस्म-ओ-रूह मेरी आज लगी है तडपने
फिर ख्वाब-ओ-ताबीर में जीस्त लगी है उलझने
फिर एक शिद्दत सी मेरी सासों में है जागी हुवी
फिर जिस्म-ओ-रूह मेरी आज लगी है तडपने
1 comment:
Wah Wah!! Bahot khub!
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