Tuesday, June 18, 2013

फिर आखो में है तुफा...

फिर आखो में है तुफा,फिर लगा ये दिल धड़कने 
फिर ख्वाब-ओ-ताबीर में जीस्त लगी है उलझने 
फिर एक शिद्दत सी मेरी सासों में है जागी हुवी 
फिर जिस्म-ओ-रूह मेरी आज लगी है तडपने  





1 comment:

Unknown said...

Wah Wah!! Bahot khub!