हालात हो न हो मगर आपस में कुछ बात होनी चाहीये
हम कुछ खेले न खेले,बिछी हुवी ये बिसात होनी चाहीये
सुख के उन धागों में आज,वो एक असर नहीं ना सही
चलते चलते किसी मोड़ पर,एक मुलाकात होनी चाहीये
This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
5 comments:
Achchha khayal hai!!
मनीष जी बहुत सुन्दर जज्बात और अहसास आप के ..सच में चलते चलते किसी मोड़ पर
भ्रमर ५
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nice
ummeeden yoonhi kayam rahen, mulaakaaten akhir kab tak n hongi, duniya bahut chhti hai, aur log sirf saat arab.
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