सोज़-ए-दिल से मुसलसल,फन-ए-ज़िंदगी सिखता हूँ मै
दौर-ए-मसर्रत ने आज तक,गुमराह ही किया है मुझको
लोग तो ख़ुशी के मारे,होश-ओ-हवास खो बैठते है अपना
वक़्त-ए-सुकूं ने लेकीन,दर्द से आगाह ही किया है मुझको
सोज़ -जलन
मुसलसल-लगातार
फ़न -कला
मसर्रत -सुख
फ़न -कला
मसर्रत -सुख
1 comment:
Khoobsoorat alfaaz ...thoda presentation proper hona chah rahi hai ye post ...
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