पूरी तरह से टुटा भी नहीं,पूरी तरह से बचा भी नहीं
बिच राह में खड़ा है रिश्ता,किसी तरफ गया भी नहीं
दिखाती है जो मक़ाम जिंदगी,मंजूर कैसे न करे हम
दिल बस दुखता है जरासा,बाकी कुछ हुवा भी नहीं
This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
1 comment:
बहुत सुंदर !
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