नफरत की आग में क्यों किसी का घर जलाये बैठे हो
क्या है खबर तुम्हे किसी का मुक़द्दर जलाये बैठे हो
जिंदगी की धुप में तुम कोई साया अब पाओगे कैसे
खुद ही अपने ताल्लुक का तुम शजर जलाये बैठे हो
शजर...पेड़/Tree
क्या है खबर तुम्हे किसी का मुक़द्दर जलाये बैठे हो
जिंदगी की धुप में तुम कोई साया अब पाओगे कैसे
खुद ही अपने ताल्लुक का तुम शजर जलाये बैठे हो
शजर...पेड़/Tree
No comments:
Post a Comment